मैं मेरी रोशनी, मैं मेरा आसमाँ
एक लड़की के एहसासों को लिखना हमेशा मुश्किल होता है। मेरी कोशिश कितनी कामयाब हुई, ये आप ही बताइए। सुनिए ये गीत...
मुखड़ा-
पल जो ये खो रहा इसे जी लूँ मैं जी लूँ ज़रा है जो भी अनकहा किसे कह दूँ मैं कह दूँ ज़रा
धीमा धीमा सा था मेरा ये सफ़र मैं अब नहीं रुकूँ चाहे ले के जाए दिल ये जिधर मैं उम्र भर चलूँ
सुन ले ओ वादियाँ मैं मेरा कारवाँ मैं मेरी रोशनी मैं मेरा आसमाँ है न...
अंतरा-
धूप और छाँव क्यूँ मिलते हैं नहीं रात और दिन मगर घुलते क्यूँ यहीं नूर के फूल क्यूँ खिलते हैं नहीं इश्क़ के सारे दर खुलते क्यूँ यहीं राहों का यूँ ही मिल जाना बादल को छू के मुस्काना काश ऐसा होता रोज़ाना है न...